Saturday, 7 April 2018

याचना

याचना

मेघाणी काग या नर्मद,
अखो मीरा या नरसी,
रमण ज्योतींद्र या मुन्शी,
दलपत कालेकर या कलापी,
हरिन्द्र कांत या धूमकेतु...

कवियों लेखकों या हो साधु,
हुतात्माओं सिद्धात्माओ,
माँ सरस्वती के साधकोंको,
में वंदन करके लिखता हूं...

कोई त्रुटि हो अगर मुझसे,
क्षमा याचना करता हूं...
क्षमा याचना करता हूं...

में तो केवल एक वाचक,
माँ सरस्वती का साधक,
लिखना काम नही है मेरा,
लेक़िन आज अंधेरा है गहरा,
बूजे चिराग जलाना चाहता हु,
आपके चरणों की धूल बनना चाहता हु,
और साहित्यिक कृतियों को बचाना चाहता हूं...

-साचो©
०८-०४-२०१८

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